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पनही

चार-पाँच दिन से भिड़कर पूरण ने एक जोड़ी पनही तैयार की थी। उसके बाप-दादा भी पटेलों के लिए पनही और पटलनों के लिए बाणा गढ़ते-गढ़ते ही मरे-खपे थे। यह पूरण का खानदानी काम था। पनही में एक-एक टाँका बहुत मन से टाँकने के बाद पूरण उन्हें चमकाने में जुटा था। पूरण की बाखल में पनही […]