जनपथ पर धूप

जनपथ पर धूप

तरल पिचू के बिस्तर परसोई है धूपपवन फरार है। चौड़ी सड़क पर ऐश के लिएकट चुके मुरबी श्रेणी के पेड़अब किस की खातिर। तनिक असावधान हो देखोजनपथ दिखता नदी-सादेखो किसी गाँव की औरत-सीकैसे ब्लाउज खोलदुपहर की निर्जन पोखर में नहा रहीजनपथ की धूप (ओह कितनी गोरी) ! पैदल लोगों को लाल आँख तरेरभगा दिया उन्हें … Read more

देश

देश1

बच्चों को गीत गाने कहबड़े ऊँघ रहे कुरसी पर देश बूढ़ा हो रहाहवाएँ न थकने तककुछ बदलने वाला नहीं सभ्यता का टिफिन बक्से में बासी होने लगेरोटी और तली सब्जीफेंके हुए पानी में पाउचसड़क के किनारे अंकुरने लगे एक परछाईं बैठी है मेड़ पर, देखोशायद दब गई है वहउस लंबे सिग्नल टावर तले हिंसा और … Read more