फिर यह हंगामा…

‘मजहब दरअस्‍ल बड़ी चीज है। तकलीफ में, मुसीबत में, नाकामी के मौके पर जब हमारी अक्‍ल काम नहीं करती और हमारे होश गायब होने को होते हैं, जब हम एक जख्‍मी जानवर की तरह चारों तरफ डरी हुई, लाचार नजरें दौड़ाते हैं, उस वक्त वह कौन-सी ताकत है जो हमारे डूबते हुए दिल को सहारा … Read more

नींद नहीं आती

घड़-घड़-घड़-घड़, टिख-टिख, चट, टिख-टिख-टिख, चट-चट-चट। गुजर गया है जमाना गले लगाए ए…ए…ए खामोशी और अँधेरा। अँधेरा-अँधेरा। आँख एक पल के बाद खुली। तकिया के गिलाफ की सफेदी। अँधेरा मगर बिल्‍कुल अँधेरा नहीं। फिर आँख बंद हो गई। मगर पूरा अँधेरा नहीं। आँख दबा कर बंद की, फिर भी रोशनी आ ही जाती है। अँधेरा पूरा … Read more

दुलारी

गोकि बचपन से वह इस घर में रही-पली, मगर सोलहवें-सतरहवें बरस में थी कि आखिरकार लौंडी भाग गई। उसके माँ-बाप का पता नहीं था, उसकी सारी दुनिया यही घर था और इसके घर वाले शेख नाजिम अली साहब खुशहाल आदमी थे। घराने में अल्‍लाह की मेहरबानी से कई बेटे और बेटियाँ भी थीं। बेगम साहिबा … Read more

जन्नत की बशारत

ह्रास के इस काल में भी लखनऊ इस्‍लामी शिक्षा का केंद्र है। विभिन्‍न अरबी मदरसे आजकल के संकटकालीन दौर में भी हिदायत की शमा रौशन किए हुए हैं। हिंदुस्‍तान के हर कोने से ईमान की गर्मी रखने वाले हृदय यहाँ आ कर धार्मिक शिक्षा ग्रहण करते हैं तथा इस्‍लाम की अजमत कायम रखने में मददगार … Read more

गर्मियों की एक रात

मुंशी बरकत अली इशा की नमाज पढ़ कर चहल कदमी करते हुए अमीनाबाद पार्क तक चले आए। गर्मियों की रात, हवा बंद थी। शर्बत की छोटी-छोटी दुकानों के पास लोग खड़े बातें कर रहे थे। लौंडे चीख-चीख कर अखबार बेच रहे थे। बेले के हार वाले हर भले मानुष के पीछे हार ले कर पलकते। … Read more