आजकल | रामसनेहीलाल शर्मा

आजकल | रामसनेहीलाल शर्मा

आजकल | रामसनेहीलाल शर्मा आजकल | रामसनेहीलाल शर्मा धूप सपनों कोझिंझोड़े आजकलसूर्य का रथकौन मोड़े आजकल। जिंदगी नंगीचतुष्पथ पर खड़ीचीर खींचा हैदुशासन-दर्प नेलहर पर अब लहरविष की चढ़ रहीडँस लिया दुर्दांततृष्णा सर्प नेहै बहुत निर्बंधउच्छृंखल हठीचाह केस्वच्छंद घोड़े आजकल। आँख में जालेपड़े हैं पीर केभाल के घरदर्द की हैं दस्तकेंसाँस हरसंताप की भाषा पढ़ेरात पढ़तीजागरण … Read more

निर्झर झरेंगे | रामसनेहीलाल शर्मा

निर्झर झरेंगे | रामसनेहीलाल शर्मा

निर्झर झरेंगे | रामसनेहीलाल शर्मा निर्झर झरेंगे | रामसनेहीलाल शर्मा तोड़नी होंगीदमन की श्रृंखलाएँबस तभीआश्वस्ति के निर्झर झरेंगे। कर रही बारूद तांडवहर दिशा अब काँपती हैलौह की प्राचीर में छिपकरव्यवस्था झाँकती हैअब अगर ये दैत्यहिंसा केअहिंसा से मरेंगेबस तभीआश्वस्ति के निर्झर झरेंगे। लिख रही तकदीरबूढ़ी रोशनाईतरुण वय कीघन तिमिर हैजेल अबसंभावनाओं के वलय कीये तमस … Read more

रेंगता है दर्द | रामसनेहीलाल शर्मा

रेंगता है दर्द | रामसनेहीलाल शर्मा

रेंगता है दर्द | रामसनेहीलाल शर्मा रेंगता है दर्द | रामसनेहीलाल शर्मा साँप जैसारेंगता है दर्दनस-नस मेंनिरंतर। एक बिगड़ी पेंटिंग सेरंग बिखरेजिंदगी के घाटियों कीचीख जैसे टूटते स्वरवंदगी केएक दोना शुष्क फूलों सेरुके आँसूनयन मेंसिसकतीं हैं सिसकियाँहर साँस में केवलजनमभर। सिर्फ जीना और मरनारोज की मजबूरियाँएक अंधी दौड़ मेंहम नापते हैं दूरियाँचेतना के श्यामपट परहै … Read more

मौसम हुआ मिहिर कुल | रामसनेहीलाल शर्मा

मौसम हुआ मिहिर कुल | रामसनेहीलाल शर्मा

मौसम हुआ मिहिर कुल | रामसनेहीलाल शर्मा मौसम हुआ मिहिर कुल | रामसनेहीलाल शर्मा चंगेजी तेवर वाले दिनमौसम हुआ मिहिर कुल। तैमूरी साँस मेंलुटते सपनेआमजनों केकंक्रीटी जंगलपथराए पलकमलवनों केलाक्षागृह जलते हैं भीतरअटकें आकुल-व्याकुल। छाती परपामीर लदा हैपैरों तले सहारानागफनी जंगल मेंभटकेशुभ संकल्प हमाराराजद्वार पर व्यर्थपुकारेंअब तो सिम-सिम खुल। शील कहाँ बच पाएगाजब लूटेंआल्हा-ऊदलखेत छोड़सागर के … Read more

बिकने और बिकाने का | रामसनेहीलाल शर्मा

बिकने और बिकाने का | रामसनेहीलाल शर्मा

बिकने और बिकाने का | रामसनेहीलाल शर्मा बिकने और बिकाने का | रामसनेहीलाल शर्मा आया मौसमबिकने और बिकाने कागुस्से मेंअपने नाखून चबाने का। उजली रात वया के सपनेखड़ी फसल बिक जाएगीझिझको मत शरमाना क्याकीमत माँगों मिल जाएगीपिंजड़ा-तोताराम-राम रट फागुन-सावनगंध-हवाएँछान-टपरिया लहँगा-फरियानीलामी हो जाने का। संत-भरम ईमान-धरमसंझवाती अब क्या करना ?लाज-शरमविश्वास करमआत्मा-वात्मा से डरना ?खेत-मड़ैयाप्यार-बलैया आँसू-वाँसूहँसी-रुदनइंगुर-वींगुर, रामरसोईसबको … Read more

इस शहर में | रामसनेहीलाल शर्मा

इस शहर में | रामसनेहीलाल शर्मा

इस शहर में | रामसनेहीलाल शर्मा इस शहर में | रामसनेहीलाल शर्मा ढूँढ़ते हो आदमीक्या बावले होइस शहर में ? मॉल है, बाजार हैकालोनियाँ हैंऊबते दिन, रात कीरंगीनियाँ हैंभीड़ में कुचलींमरीं संवेदनाएँ ढूँढ़ते स्वर मातमीक्या बावले होइस शहर में ? कार, कंप्यूटर, कमेंट्रीमैच, दंगाशोर, भाषण, झूठ रैलीसत्य नंगाखौखियाती खीझकुर्सी, गालियाँ, लड़ते बिजूकेढूँढ़ते दृग में नमीक्या … Read more