आजकल | रामसनेहीलाल शर्मा आजकल | रामसनेहीलाल शर्मा धूप सपनों कोझिंझोड़े आजकलसूर्य का रथकौन मोड़े आजकल। जिंदगी नंगीचतुष्पथ पर खड़ीचीर खींचा हैदुशासन-दर्प नेलहर पर अब लहरविष की चढ़ रहीडँस लिया दुर्दांततृष्णा सर्प नेहै बहुत निर्बंधउच्छृंखल हठीचाह केस्वच्छंद घोड़े आजकल। आँख में जालेपड़े हैं पीर केभाल के घरदर्द की हैं दस्तकेंसाँस हरसंताप की भाषा पढ़ेरात पढ़तीजागरण […]
Tag: Ramasnehilal Sharma
Posted inPoems
निर्झर झरेंगे | रामसनेहीलाल शर्मा
Posted inPoems
रेंगता है दर्द | रामसनेहीलाल शर्मा
Posted inPoems