सीमान्त | रविंद्रनाथ टैगोर

सीमान्त | रविंद्रनाथ टैगोर

सीमान्त | रविंद्रनाथ टैगोर – Simanta सीमान्त | रविंद्रनाथ टैगोर उस दिन सवेरे कुछ ठण्ड थी; परन्तु दोपहर के समय हवा गर्मी पाकर दक्षिण दिशा की ओर से बहने लगी थी। यतीन जिस बरामदे में बैठा हुआ था, वहां से उद्यान के एक कोने में खड़े हुए कटहल और दूसरी ओर के शिरीष वृक्ष के … Read more

समाज का शिकार | रविंद्रनाथ टैगोर

समाज का शिकार | रविंद्रनाथ टैगोर

समाज का शिकार | रविंद्रनाथ टैगोर – Samaj Ka Shikar समाज का शिकार | रविंद्रनाथ टैगोर मैं जिस युग का वर्णन कर रहा हूं उसका न आदि है न अंत! वह एक बादशाह का बेटा था और उसका महलों में लालन-पालन हुआ था, किन्तु उसे किसी के शासन में रहना स्वीकार न था। इसलिए उसने … Read more

विदा | रविंद्रनाथ टैगोर

विदा | रविंद्रनाथ टैगोर

विदा | रविंद्रनाथ टैगोर – Vida विदा | रविंद्रनाथ टैगोर कन्या के पिता के लिए धैर्य धरना थोड़ा-बहुत संभव भी था; परन्तु वर के पिता पल भर के लिए भी सब्र करने को तैयार न थे। उन्होंने समझ लिया था कि कन्या के विवाह की आयु पार हो चुकी है; परन्तु किसी प्रकार कुछ दिन … Read more

यह स्वतन्त्रता | रविंद्रनाथ टैगोर

यह स्वतन्त्रता | रविंद्रनाथ टैगोर

यह स्वतन्त्रता | रविंद्रनाथ टैगोर – Yaha Swatantrata यह स्वतन्त्रता | रविंद्रनाथ टैगोर पाठक चक्रवर्ती अपने मुहल्ले के लड़कों का नेता था। सब उसकी आज्ञा मानते थे। यदि कोई उसके विरुध्द जाता तो उस पर आफत आ जाती, सब मुहल्ले के लड़के उसको मारते थे। आखिरकार बेचारे को विवश होकर पाठक से क्षमा मांगनी पड़ती। … Read more

भिखारिन | रविंद्रनाथ टैगोर

भिखारिन | रविंद्रनाथ टैगोर

भिखारिन | रविंद्रनाथ टैगोर – Bhikharin भिखारिन | रविंद्रनाथ टैगोर अन्धी प्रतिदिन मन्दिर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होती, दर्शन करने वाले बाहर निकलते तो वह अपना हाथ फैला देती और नम्रता से कहती- बाबूजी, अन्धी पर दया हो जाए। वह जानती थी कि मन्दिर में आने वाले सहृदय और श्रध्दालु हुआ करते हैं। उसका … Read more

पिंजर | रविंद्रनाथ टैगोर

पिंजर | रविंद्रनाथ टैगोर

पिंजर | रविंद्रनाथ टैगोर – Pinjar पिंजर | रविंद्रनाथ टैगोर जब मैं पढ़ाई की पुस्तकें समाप्त कर चुका तो मेरे पिता ने मुझे वैद्यक सिखानी चाही और इस काम के लिए एक जगत के अनुभवी गुरु को नियुक्त कर दिया। मेरा नवीन गुरु केवल देशी वैद्यक में ही चतुर न था, बल्कि डॉक्टरी भी जानता … Read more

पाषाणी | रविंद्रनाथ टैगोर

पाषाणी | रविंद्रनाथ टैगोर

पाषाणी | रविंद्रनाथ टैगोर – Pashani पाषाणी | रविंद्रनाथ टैगोर अपूर्वकुमार बी.ए. पास करके ग्रीष्मावकाश में विश्व की महान नगरी कलकत्ता से अपने गांव को लौट रहा था। मार्ग में छोटी-सी नदी पड़ती है। वह बहुधा बरसात के अन्त में सूख जाया करती है; परन्तु अभी तो सावन मास है। नदी अपने यौवन पर है, … Read more

प्रेम का मूल्य | रविंद्रनाथ टैगोर

प्रेम का मूल्य | रविंद्रनाथ टैगोर

प्रेम का मूल्य | रविंद्रनाथ टैगोर – Prem Ka Mulya प्रेम का मूल्य | रविंद्रनाथ टैगोर बृहस्पति छोटे देवतओं का गुरु था। उसने अपने बेटे कच को संसार में भेजा कि शंकराचार्य से अमर-जीवन का रहस्य मालूम करे। कच शिक्षा प्राप्त करके स्वर्ग-लोक को जाने के लिए तैयार था। उस समय वह अपने गुरु की … Read more

पत्नी का पत्र | रविंद्रनाथ टैगोर

पत्नी का पत्र | रविंद्रनाथ टैगोर

पत्नी का पत्र | रविंद्रनाथ टैगोर – Patni Ka Patra पत्नी का पत्र | रविंद्रनाथ टैगोर श्रीचरणकमलेषु, आज हमारे विवाह को पंद्रह वर्ष हो गए, लेकिन अभी तक मैंने कभी तुमको चिट्ठी न लिखी। सदा तुम्हारे पास ही बनी रही – न जाने कितनी बातें कहती सुनती रही, पर चिट्ठी लिखने लायक दूरी कभी नहीं … Read more

नई रोशनी | रविंद्रनाथ टैगोर

नई रोशनी | रविंद्रनाथ टैगोर

नई रोशनी | रविंद्रनाथ टैगोर – Nayi Roshani नई रोशनी | रविंद्रनाथ टैगोर बाबू अनाथ बन्धु बी.ए. में पढ़ते थे। परन्तु कई वर्षों से निरन्तर फेल हो रहे थे। उनके सम्बन्धियों का विचार था कि वह इस वर्ष अवश्य उत्तीर्ण हो जाएंगे, पर इस वर्ष उन्होंने परीक्षा देना ही उचित न समझा। इसी वर्ष बाबू … Read more