सीमान्त | रविंद्रनाथ टैगोर
सीमान्त | रविंद्रनाथ टैगोर – Simanta सीमान्त | रविंद्रनाथ टैगोर उस दिन सवेरे कुछ ठण्ड थी; परन्तु दोपहर के समय हवा गर्मी पाकर दक्षिण दिशा की ओर से बहने लगी थी। यतीन जिस बरामदे में बैठा हुआ था, वहां से उद्यान के एक कोने में खड़े हुए कटहल और दूसरी ओर के शिरीष वृक्ष के … Read more