अधूरा चाँद | प्रांजल धर

अधूरा चाँद | प्रांजल धर

अधूरा चाँद | प्रांजल धर अधूरा चाँद | प्रांजल धर दंगों से बेघर हुए परिवार कीनवेली दुल्हन केबहुत सारे स्वप्नध्वस्त हो जाते एक झटके मेंधमाके के बादखंडहर में तब्दील हुएआलीशान महल-से।लपालप निकलकरलील लेती है उसके परिवेश कोहादसों की लंबी जीभ,लपेटकर पकड़ती हैउसके रंगीले संसारऔर आधी रात को अधूरे चाँद मेंदेखी हुई प्रिय की छवि कोऔर … Read more

अध्यारोहण है यह | प्रांजल धर

अध्यारोहण है यह | प्रांजल धर

अध्यारोहण है यह | प्रांजल धर अध्यारोहण है यह | प्रांजल धर अध्यारोहण है यह बौद्धिकों की स्वार्थ पताकाओं का।अपने ही देश में पराए हैंवंचनाबोध से ग्रस्त नवयुवक कुछ,जला दी गईं हैं कुछ प्रेमिकाएँ बगल वाले गाँव मेंअपने ही घरों में;सह नहीं पाती कोई कार्यकारिणीपूर्वोत्तर के पहाड़ी अक्षांशों मेंदूर तक पसरे विध्वंसक सन्नाटे को,चुप्पियों का … Read more

अजनबी | प्रांजल धर

अजनबी | प्रांजल धर

अजनबी | प्रांजल धर अजनबी | प्रांजल धर तो क्या समझूँ, क्या मानूँक्या न समझूँ, क्या न मानूँक्या यह कि वह ‘जंगली’ आदमीजो रात में ओढ़ा गया थामुझे चादर, मेरे पाँव तक;वह क्रेता था मेरी भावनाओं कासहानुभूतियों काया विक्रेता था अपने इरादों का, चालों काघनचक्कर जालों काया कि कोई दुश्मन था पिछले पुराने सालों का? … Read more