Posted inPoems

हर तरफ आभास काला | निर्मल शुक्ल

हर तरफ आभास काला | निर्मल शुक्ल हर तरफ आभास काला | निर्मल शुक्ल लो सुनो,आ गया है फिर नयाअखबार आँगन में। जंग खाती सुर्खियाँसारीप्रभावों में कसी हैंयोजना के नाम परजो शब्द है तब फंतासी हैं एक विज्ञापन बड़ा-साऔर उस पर हीटिकाव्यापार आँगन में। चाँद की धब्बों भरीकुछ सूरतेंहर पृष्ठ पर हैंभार ढोती कुर्सियों केपेट […]