हर तरफ आभास काला | निर्मल शुक्ल हर तरफ आभास काला | निर्मल शुक्ल लो सुनो,आ गया है फिर नयाअखबार आँगन में। जंग खाती सुर्खियाँसारीप्रभावों में कसी हैंयोजना के नाम परजो शब्द है तब फंतासी हैं एक विज्ञापन बड़ा-साऔर उस पर हीटिकाव्यापार आँगन में। चाँद की धब्बों भरीकुछ सूरतेंहर पृष्ठ पर हैंभार ढोती कुर्सियों केपेट […]
Nirmal Shukla
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रिक्त संवाद | निर्मल शुक्ल
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रूठ गए मेहमान | निर्मल शुक्ल
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पाले बदल गए | निर्मल शुक्ल
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नए संवाद की आमद | निर्मल शुक्ल
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द्रोहकाल | निर्मल शुक्ल
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ऊँचे स्वर के संबोधन | निर्मल शुक्ल
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अपनेपन का लेखा | निर्मल शुक्ल
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