हमारे समय के पेड़ | नवनीत पांडे हमारे समय के पेड़ | नवनीत पांडे हमारे जंगल मेंबहुत से ऐसे पेड़ हैंजो पेड़ हैंपर नहीं दिखताकहीं भी पेड़पन उन मेंकिसी भी दिशा सेकैसी भी चले हवाएँवे न हिलते हैंन हिलाते हैं फूल-फल आए तोबरसों हुएछाँव भीचिंदी-चिंदी उन पर बने घोंसलों केपरिंदों के सच भीकुछ अलग नहीं […]
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हम हरे हैं | नवनीत पांडे
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लौटाना | नवनीत पांडे
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फर्क | नवनीत पांडे
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