बूढ़े लोगों को हँसी | माया एंजेलो

बूढ़े लोगों को हँसी | माया एंजेलो

बूढ़े लोगों को हँसी | माया एंजेलो बूढ़े लोगों को हँसी | माया एंजेलो खीसें निपोर कर खुश हैं वेहोंठों को इधर उधर हिला करमस्तक के बीच रेखाओं कोघुमाते हुए बूढ़े लोगबजने देते हैं अपने पेट कोढोलकी की तरहउनकी चिल्लाहटें उठकर बिखर जाती हैंजैसे भी वे चाहते हैं।बूढ़े लोग हँसते हैं, तो दुनिया को मुक्त … Read more

मैं फिर भी बढ़ती जाती हूँ | माया एंजेलो

मैं फिर भी बढ़ती जाती हूँ | माया एंजेलो

मैं फिर भी बढ़ती जाती हूँ | माया एंजेलो मैं फिर भी बढ़ती जाती हूँ | माया एंजेलो चाहे मुझे इतिहास में निचला दर्जा दोअपने कटु, विकृत झूठ के साथ,भले ही कीचड़ में सान दोफिर भी, धूल की तरह, मैं उठ जाऊँगी मेरी जिंदादिली से परेशान हो तुम?तुमको क्यों उदासी घेरे हुए है?मैं चलती हूँ … Read more

घृणा करने वाला | माया एंजेलो

घृणा करने वाला | माया एंजेलो

घृणा करने वाला | माया एंजेलो घृणा करने वाला | माया एंजेलो घृणा वह व्यक्ति करता हैजो जलता है औरों से, ईर्ष्यालु है और बिता देता हैअपना सारा समय तुम्हें नीचा दिखाने में खुद ऊँचा दिखने के लिएबहुत नकारात्मक लोग हैं वे कभी किसी से खुश नहीं होते हैं जब भी कुछ करके दिखाओगेईर्ष्यालुओं को … Read more

अकेले | माया एंजेलो

अकेले | माया एंजेलो

अकेले | माया एंजेलो अकेले | माया एंजेलो कल रातलेटे हुए सोच रही थीअपनी आत्मा का घर कैसे खोजूँजल जहाँ प्यासा न होऔर रोटी का कौर पत्थर न होमेरे मन में ये बात आईऔर मुझे नहीं लगता मैं गलत हूँकि कोई भी,हाँ कोई भीगुजर नहीं कर सकता है यहाँ अकेले।अकेले, निपट अकेलेबिना किसी संगी साथी … Read more

वीकएंड की मौज मस्ती | माया एंजेलो

वीकएंड की मौज मस्ती | माया एंजेलो

वीकएंड की मौज मस्ती | माया एंजेलो वीकएंड की मौज मस्ती | माया एंजेलो कुछ नकलची लोगों कोसच पता नहीं है,दिखावे के लिए ड्रेस पहनते हैंतरह तरह के नाटक करते हैं,अकड़ कर चलते हैं। महँगे घरों में रहते हैंउनकी हैसियत से बढ़कर हैं जो,अपनी आत्मा को गिरवी रख देते हैंपास के बैंकों में।बड़ी कारें खरीदते … Read more

मुझे पता है पिंजरे का पंछी क्या गाता है | माया एंजेलो

मुझे पता है पिंजरे का पंछी क्या गाता है | माया एंजेलो

मुझे पता है पिंजरे का पंछी क्या गाता है | माया एंजेलो मुझे पता है पिंजरे का पंछी क्या गाता है | माया एंजेलो मुक्त पंछी फुदकता हैहवा के परों परऔर नीचे को बहता हैझोंके के छोर तकऔर अपने पंखों को डुबोता हैसूरज की नारंगी किरणों मेंऔर आकाश पर हक जमाता है।मगर जो पक्षी पड़ा … Read more