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समय की नदी | माहेश्वर तिवारी

समय की नदी | माहेश्वर तिवारी समय की नदी | माहेश्वर तिवारी हम समय की नदीतैर कर आ गएअब खड़े हैं जहाँवह जगह कौन है। तोड़ते-जोड़तेहर नियम, उपनियमउत्सवों के जिएसाँस-दर-साँस हम एक पूरी सदीतैर कर आ गएअब खड़े हैं जहाँवह सतह कौन है। होंठ परथरथराती हँसीरोप करआँसुओं को पियाआँख में उम्र भर हम कठिन त्रासदीतैर […]