शून्य मंदिर में बनूँगी | महादेवी वर्मा शून्य मंदिर में बनूँगी | महादेवी वर्मा शून्य मंदिर में बनूँगी आज मैं प्रतिमा तुम्हारी ! अर्चना हों शूल भोले,क्षार दृग-जल अर्घ्य हो ले,आज करुणा-स्नात उजलादुख हो मेरा पुजारी ! नूपुरों का मूक छूना,सरद कर दे विश्व सूना,यह अगम आकाश उतरेकंपनों का हो भिखारी ! लोल तारक भी […]
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रे पपीहे पी कहाँ ? | महादेवी वर्मा
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प्रिय! सांध्य गगन | महादेवी वर्मा
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