Posted inPoems

शेष | केसरीनाथ त्रिपाठी

शेष | केसरीनाथ त्रिपाठी शेष | केसरीनाथ त्रिपाठी क्षितिज के उस पर देखें क्‍यों अभी हमअभी तो इस पार का जीवन बहुत अवशेष है नयन खुलते ही मिला, आँचल जो उसके स्‍नेह का‘जीवेम शरदः शतं’ गुंजन है जिसके नेह काआशीर्वचन की उस किरण का प्रस्‍फुटन बनअंक में माँ के अभी तो कुलबुलाना शेष है दिव्‍य […]