फाख़्ताएं | जोगिन्दर पाल – Phakhtaen फाख़्ताएं | जोगिन्दर पाल ”यहाँ खरीयत है। आपकी खरीयत नेक चाहता हूं।” अपने पुराने दोस्त फंजलदीन को चिट्ठी लिखते हुए लोभसिंह को याद आया है कि वह उन दिनों भी उसे खरीयत पर टोका करता था, ”उर्दू के मास्टर हो लोभे, यह भी नहीं जानते कि खैरियत ‘खै’ से […]
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