हाथी | जितेन्द्र विसारिया

हाथी | जितेन्द्र विसारिया

हाथी | जितेन्द्र विसारिया – Hathi हाथी | जितेन्द्र विसारिया …हम कबीरपंथी चमार थे। निडर होकर अपनी बात कहना और उस पर डटकर अमल करना, हमने अपने पूर्वजों से सीखा था। यही कारण था कि हम अपने इस खरेपन के लिए सारे गाँव में जाने जाते थे। जिसका परिणाम बाद में चाहे कुछ भी हुआ … Read more

हम पे घड़ा मिसुर कौ कहिए तुम पे घट मेहतर कौ…? | जितेन्द्र विसारिया

हम पे घड़ा मिसुर कौ कहिए तुम पे घट मेहतर कौ...? | जितेन्द्र विसारिया

हम पे घड़ा मिसुर कौ कहिए तुम पे घट मेहतर कौ…? | जितेन्द्र विसारिया – Ham-Pe-Ghada-Misur-Kau-Kahie-Tum-Pe-Ghat-Mehatar-Kau हम पे घड़ा मिसुर कौ कहिए तुम पे घट मेहतर कौ…? | जितेन्द्र विसारिया बात को ऐसे पर लगे, देखते-सुनते तीनों लोक में फैल गई। सातौं जात के जनीमद्द में सनाका खिंच गया कि – ‘हरदेव पुरोहित की बहू … Read more