औरत जो नदी है | जयश्री रॉय

औरत जो नदी है | जयश्री रॉय

औरत जो नदी है | जयश्री रॉय – Aurat Jo Nadi Hai औरत जो नदी है | जयश्री रॉय मार्च का महीना – हमेशा की तरह उदास और उलंग… धूल के अनवरत उठते बवंडर के बीच पलाश की निर्वसन डालों पर सुलगते रंगों की अनायास खुलती गाँठें और हवा में उड़ते सेमल के रेशमी फूलों … Read more

संधि | जयश्री रॉय

संधि | जयश्री रॉय

संधि | जयश्री रॉय – Sandhi संधि | जयश्री रॉय आजकल उतरते दिन की अशक्त होती धूप उसके घर के छोटे-से कंपाउंड के सामने वाले लकड़ी के पीले गेट पर थोड़ी देर के लिए ठिठकती है और फिर तेजी से रास्ते की दूसरी तरफ खड़े मौलसिरी के बौने, छतनार पेड़ की ओर सरकती जाती है। … Read more

सुख के दिन | जयश्री रॉय

सुख के दिन | जयश्री रॉय

सुख के दिन | जयश्री रॉय – Sukh Ke Din सुख के दिन | जयश्री रॉय मुर्गे की पहली ही बाँग पर रघुनाथ की आँखें खुल गई थीं। रैली में जाने की उत्तेजना में वह पूरी रात ठीक तरह से सो नहीं पाया था। देर रात तक गाँव के चौपाल पर पार्टी की मीटिंग चलती … Read more

सूअर का छौना | जयश्री रॉय

सूअर का छौना | जयश्री रॉय

सूअर का छौना | जयश्री रॉय – Sooar Ka Chhanua सूअर का छौना | जयश्री रॉय दुखी जन्म का दुखी है। पैदा होते ही अपनी महतारी को खा गया। साथ ही अपने बाप को भी गँवा बैठा। इधर वह सूअर के बाड़े में पड़ा भूख से कोकिया रहा था, और उधर टेटनस से मुड़कर एकदम … Read more

मोहे रंग दो लाल | जयश्री रॉय

मोहे रंग दो लाल | जयश्री रॉय

मोहे रंग दो लाल | जयश्री रॉय – Mohe Rang Do Lal मोहे रंग दो लाल | जयश्री रॉय रात के मयूरकंठी आकाश में एक उज्ज्वल नक्षत्र अनायास दमक कर बुझा था। साथ ही मद्दिम बजती बाँसुरी की तान थमक गई थी। राज प्रासाद की ऊँची-काली दीवारों के बीच कुहासे-सा जमा मौन देर तक थरथराता … Read more

फुरा के आँसू और पिघला हुआ इंद्रधनुष | जयश्री रॉय

फुरा के आँसू और पिघला हुआ इंद्रधनुष | जयश्री रॉय

फुरा के आँसू और पिघला हुआ इंद्रधनुष | जयश्री रॉय – Phura Ke Aansu Aur Pighala Hua Indradhanush फुरा के आँसू और पिघला हुआ इंद्रधनुष | जयश्री रॉय जुलाई के सूखे काँच-से चमकते आकाश के नीचे पिघले इंद्रधनुष की वह जीर्ण, तरल लकीर मुहाने के पास एकदम से चौड़ी हो गई थी और फिर बिफर … Read more

पिंजरा | जयश्री रॉय

पिंजरा | जयश्री रॉय

पिंजरा | जयश्री रॉय – Pinjara पिंजरा | जयश्री रॉय चूल्हे में थोड़ी-सी आँच बचाकर उसने बाकी लकड़ियाँ बुझा दी थी। फिर, धुआँती आँखें पोंछती हुई रसोई से निकल आई थी – राणा आए तो गर्म फुलके सेंक लेगी। मगर वह आएगा कब… दोपहर की धूप छज्जे से सरककर अब पिछली दीवार से नीचे उतरने … Read more

दौड़ | जयश्री रॉय

दौड़ | जयश्री रॉय

दौड़ | जयश्री रॉय – Daud दौड़ | जयश्री रॉय आई को पुकारते हुए रघु जानता था, वह कहाँ मिलेगी – हमेशा की तरह पूरब वाले खेत की आल पर! समझा कर हार गया कि अब वह अपना खेत नहीं रहा मगर वह सुने तब ना! उस जमीन के हथेली भर टुकड़े में उसकी जिंदगी … Read more

थोड़ी सी जमीं, थोड़ा आसमाँ… | जयश्री रॉय

थोड़ी सी जमीं, थोड़ा आसमाँ... | जयश्री रॉय

थोड़ी सी जमीं, थोड़ा आसमाँ… | जयश्री रॉय – Thodi Si Jameen, Thoda Aasaman… थोड़ी सी जमीं, थोड़ा आसमाँ… | जयश्री रॉय वीलो के एक अधझड़े पेड़ की छाँव के परे धूप का वह मीठा टुकड़ा बिछा था – गर्म और चमकीला! उसी के घेरे में लकड़ी की वह आत्मीय निमंत्रण से भरी छोटी-सी बेंच! … Read more

ड्राइविंग लाइसेन्स | जयश्री रॉय

ड्राइविंग लाइसेन्स | जयश्री रॉय

ड्राइविंग लाइसेन्स | जयश्री रॉय – Driving License ड्राइविंग लाइसेन्स | जयश्री रॉय गौतम के सामने वह थप्पड़ मेरे गाल पर नहीं, रूह पर पड़ा था। आँखों के सामने तैरते स्याह धब्बों के पार मैंने मुड़कर देखा था – वह हमेशा की तरह दूसरी तरफ देख रहा था। वह यहाँ, इस कमरे में, इस घर … Read more