वाङ्चू | भीष्म साहनी

वाङ्चू | भीष्म साहनी

वाङ्चू | भीष्म साहनी – Vadachyu वाङ्चू | भीष्म साहनी तभी दूर से वाङ्चू आता दिखाई दिया। नदी के किनारे, लालमंडी की सड़क पर धीरे-धीरे डोलता-सा चला आ रहा था। धूसर रंग का चोगा पहने था और दूर से लगता था कि बौद्ध भिक्षुओं की ही भाँति उसका सिर भी घुटा हुआ है। पीछे शंकराचार्य … Read more

साग-मीट | भीष्म साहनी

साग-मीट | भीष्म साहनी

साग-मीट | भीष्म साहनी – Sag-Mith साग-मीट | भीष्म साहनी साग-मीट बनाना क्‍या मुश्किल काम है। आज शाम खाना यहीं खाकर जाओ, मैं तुम्‍हारे सामने बनवाऊँगी, सीख भी लेना और खा भी लेना। रुकोगी न? इन्‍हें साग-मीट बहुत पसंद है। जब कभी दोस्‍तों का खाना करते हैं, तो साग-मीट जरूर बनवाते हैं। हाय, साग-मीट तो … Read more

माता-विमाता | भीष्म साहनी

माता-विमाता | भीष्म साहनी

माता-विमाता | भीष्म साहनी – Mata-Vimata माता-विमाता | भीष्म साहनी पंद्रह डाउनलोड गाड़ी के छूटने में दो-एक मिनट की देर थी। हरी बत्ती दी जा चुकी थी और सिगनल डाउनलोड हो चुका था। मुसाफिर अपने-अपने डिब्‍बों में जाकर बैठ चुके थे, जब सहसा दो फटेहाल औरतों में हाथापाई होने लगी। एक औरत, दूसरी की गोद … Read more

मरने से पहले | भीष्म साहनी

मरने से पहले | भीष्म साहनी

मरने से पहले | भीष्म साहनी – Marne Se Pahale मरने से पहले | भीष्म साहनी मरने से एक दिन पहले तक उसे अपनी मौत का कोई पूर्वाभास नहीं था। हाँ, थोड़ी खीझ और थकान थी, पर फिर भी वह अपनी जमीन के टुकड़े को लेकर तरह-तरह की योजनाएँ बना रहा था, बल्कि उसे इस … Read more

फैसला | भीष्म साहनी

फैसला | भीष्म साहनी

फैसला | भीष्म साहनी – Faisla फैसला | भीष्म साहनी उन दिनों हीरालाल और मैं अक्सर शाम को घूमने जाया करते थे। शहर की गलियाँ लाँघ कर हम शहर के बाहर खेतों की ओर निकल जाते थे। हीरालाल को बातें करने का शौक था और मुझे उसकी बातें सुनने का। वह बातें करता तो लगता … Read more

त्रास | भीष्म साहनी

त्रास | भीष्म साहनी

त्रास | भीष्म साहनी – Tras त्रास | भीष्म साहनी ऐक्सिडेंट पलक मारते हो गया। और ऐक्सिडेंट की जमीन भी पलक मारते तैयार हुई। पर मैं गलत कह रहा हूँ। उसकी जमीन मेरे मन में वर्षों से तैयार हो रही थी। हाँ, जो कुछ हुआ वह जरूर पलक मारते हो गया। दिल्‍ली में प्रत्‍येक मोटर … Read more

चीलें | भीष्म साहनी

चीलें | भीष्म साहनी

चीलें | भीष्म साहनी – Chile चीलें | भीष्म साहनी चील ने फिर से झपट्टा मारा है। ऊपर, आकाश में मँडरा रही थी जब सहसा, अर्धवृत्त बनाती हुई तेजी से नीचे उतरी और एक ही झपट्टे में, मांस के लोथड़े को पंजों में दबोच कर फिर से वैसा ही अर्द्धवृत्त बनाती हुई ऊपर चली गई। … Read more

चीफ की दावत | भीष्म साहनी

चीफ की दावत | भीष्म साहनी

चीफ की दावत | भीष्म साहनी – Chif Ka Davat चीफ की दावत | भीष्म साहनी आज मिस्टर शामनाथ के घर चीफ की दावत थी। शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फुर्सत न थी। पत्नी ड्रेसिंग गाउन पहने, उलझे हुए बालों का जूड़ा बनाए मुँह पर फैली हुई सुर्खी और पाउड़र को मले … Read more

खून का रिश्ता | भीष्म साहनी

खून का रिश्ता | भीष्म साहनी

खून का रिश्ता | भीष्म साहनी – Khun Ka Rishata खून का रिश्ता | भीष्म साहनी खाट की पाटी पर बैठा चाचा मंगलसेन हाथ में चिलम थामे सपने देख रहा था। उसने देखा कि वह समधियों के घर बैठा है और वीरजी की सगाई हो रही है। उसकी पगड़ी पर केसर के छींटे हैं और … Read more

ओ हरामजादे | भीष्म साहनी

ओ हरामजादे | भीष्म साहनी

ओ हरामजादे | भीष्म साहनी – Wo Haramjade ओ हरामजादे | भीष्म साहनी घुमक्कड़ी के दिनों में मुझे खुद मालूम न होता कि कब किस घाट जा लगूँगा। कभी भूमध्य सागर के तट पर भूली बिसरी किसी सभ्यता के खंडहर देख रहा होता, तो कभी यूरोप के किसी नगर की जनाकीर्ण सड़कों पर घूम रह … Read more