मेरी माटी ! तुझे कैसे पाऊँ ? | भरत प्रसाद मेरी माटी ! तुझे कैसे पाऊँ ? | भरत प्रसाद तुम्हारे इतने पास रहकरऔर पास आने की अकथ बेचैनी के बावजूदकितना दूर रह जाता हूँ तुमसे ?बचपन से आज तक तुम्हारे सिवाकिससे इतना नाता रहा ?परंतु कैसे झूठ बोलूँ कि ?मैं सिर्फ तुम्हारे लिए जीता […]
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