हँसता है कंकाल | असलम हसन

हँसता है कंकाल | असलम हसन

हँसता है कंकाल | असलम हसन हँसता है कंकाल | असलम हसन वे जो पहाड़ों की सैर नहीं करतेअपने कंधों पे ढोते हैं पहाड़…वे जिनके बच्चे कभी नहीं जोड़ पाएँगेलाखों-करोड़ों का हिसाबरटते हैं पहाड़ावे जो सींचते हैं धरती-गगन अपने लहू सेरोज मरते हैं पसीने की तेजाबी बू सेवे जो मौत से पहले ही हो जाते … Read more

हम बेचारे | असलम हसन

हम बेचारे | असलम हसन

हम बेचारे | असलम हसन हम बेचारे | असलम हसन ऊपर अंबरचाँद सितारेनीचे धरतीहम बेचारेधूप-छाँव औरदुशवारी लेकिनजीना जारीजान से प्याराअपना जीवनफिर भीजिंदगी भारीउनके हिस्सेहवा-हवाईलाल से चेहरेसाफ-सफाईधूल भरे हैंगाँव ये सारेकीचड़ सनेपाँव हमारेहम तो बसमेहनत केसहारेशह के बलपर वो जीतेघात-मात सेहम हारेनील गगनचाँद सितारेसख्त जमींऔर हम बेचारे…

शोषित चेतना | असलम हसन

शोषित चेतना | असलम हसन

शोषित चेतना | असलम हसन शोषित चेतना | असलम हसन घुन खाए पाँवों से नाप लूँगापथरीली सड़कजा पहुँचूँगा उस पारलौह द्वार तकशिथिल पेशियों से जकड़ लूँगातुम्हारी गर्दनपोपले मुँह में चबा लूँगातुम्हारी अकड़ी हुई हड्डियाँखाली हाथ में फिर भर लाऊँगाअपने बच्चों की किलकारियाँ…

रिक्शावाला | असलम हसन

रिक्शावाला | असलम हसन

रिक्शावाला | असलम हसन रिक्शावाला | असलम हसन तीन पहियों से बिठाकर साम्यगति सेभागता है आगेफिर भी पीछे बैठे हुए आदमी सेबहुत पीछेछूट जाता है रिक्शावाला

युद्ध जीता कौन ? | असलम हसन

युद्ध जीता कौन ? | असलम हसन

युद्ध जीता कौन ? | असलम हसन युद्ध जीता कौन ? | असलम हसन बंजर खेतों में खोजना सिर्फ बारूद की फसलेंगर्द-आलूद फौजी जूतों में देखना जरखेज मिट्टी केनिशान…पूछना उस वीरान शहर से उसे आबाद होने मेंकितना वक्त लगा थाऔर कितना वक्त लगा था उसे वीरान होने में…पूछना रेत से तेल निचोड़ लाने वाले हुनरमंदसिपहसालारों … Read more

मुश्किल है आसाँ होना | असलम हसन

मुश्किल है आसाँ होना | असलम हसन

मुश्किल है आसाँ होना | असलम हसन मुश्किल है आसाँ होना | असलम हसन कितना मुश्किल है आसाँ होनाफूलों की तरह खिलखिलानाचिड़ियों की तरह चहचहानाकितना मुश्किल हैसुनना फुर्सत से कभी दिल की सरगोशियाँऔर देखना पल भर रंग-बिरंगी तितलियों कोकितना मुश्किल है फिक्र से निकल आनाकिसी मासूम बच्चे की मानिंद मचल जानाकितना सख्त है नर्म होनामोम … Read more

मेरी कविताएँ | असलम हसन

मेरी कविताएँ | असलम हसन

मेरी कविताएँ | असलम हसन मेरी कविताएँ | असलम हसन मेरी कविताएँ शायद कागजी घोड़े हैंया महज शब्दों की कलाबाजियाँकल्पना की महीन कोशिकाओं मेंमहसूस करता हूँ टीसखोखले बयानबाजी से रचता हूँ संसारकपाल की कठोर हड्डियों में कुशलता सेटाँकता हूँ संवेदनाओं के पैबंदऔर इस तरह पृष्ठ के मध्य लिखता हूँहाशिए का दर्द…

मैं मजदूर हूँ | असलम हसन

मैं मजदूर हूँ | असलम हसन

मैं मजदूर हूँ | असलम हसन मैं मजदूर हूँ | असलम हसन मैं एक मजदूर हूँमेरी भुजाओं में फड़कती है धरतीये तोड़ सकती हैं पहाड़ों कोऔर मोड़ सकती हैं नदियों की धाराओं को…मेरे पाँव बड़े बलशाली…थकते नहीं रुकते नहींउठाता हूँ कंधों पर संसारमेरी मुट्ठी में क्रांति हैमेरे होठों पर गीत हैं और आँखों में पानीमेरा … Read more

फेसबुक | असलम हसन

फेसबुक | असलम हसन

फेसबुक | असलम हसन फेसबुक | असलम हसन काश हर चेहरा किताब होताकितनी आसानी से पढ़ लेताहर दिल की इबारत और पहचान लेताहर सूरत की ह़की़कत…काश हर चेहरा किताब होता तो लफ्जों कीधूप छाँव में ढूँढ़ लाता जिंदगी,भाँप लेता खिलखिलाते लोगों का दर्दकाश हर चेहरा किताब होता…चुपके से देख लेता खामोश अदावतनर्म व नाजुक लहजों … Read more

पिता | असलम हसन

पिता | असलम हसन

पिता | असलम हसन पिता | असलम हसन बच्चे बड़े हो गएऔर बौना हो गया है पिताघर का एक बेकार कोनाबिछौना हो गया है पिताअपने पाँव पर खड़े हो गएखेलते बच्चेऔर खिलौना हो गया है पिता…