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बिन बादल बरसात से | अरविंद राही

बिन बादल बरसात से | अरविंद राही बिन बादल बरसात से | अरविंद राही कैसी रिमझिम तन-मन भीगाबिन बादल बरसात से।मन के द्वार रंगोली भरकरधूप-दीप ड्यौढ़ी पर धरकरबंदनवार सजा बरसों तकराह अगोरी आहें भरकरस्वाती में भी चातक प्यासाव्याकुल है हर घात से। तृषित अधर-धर तुहिन सरोवरछुअन उकेरी कोरे मन परचुभन और दंशन पाया हैएक कुँवारी […]