हस्तकला | अंकिता आनंद

हस्तकला | अंकिता आनंद

हस्तकला | अंकिता आनंद हस्तकला | अंकिता आनंद मेरे घर की औरतें हाथों से साँस लेती हैं उनके दाँतों तले आई उनकी ज़बान हड़बड़ा कर कदम पीछे हटा लेती है पलकें अनकहे शब्दों की गड़गड़ाहट कस कर भीतर बाँध कर रखती हैं कपड़े तह करते, फर्नीचर की जगह बदलते आग से गीली लकड़ी बाहर खींचते, नारियल तोड़ते इन हाथों … Read more

व्यतीत | अंकिता आनंद

व्यतीत | अंकिता आनंद

व्यतीत | अंकिता आनंद व्यतीत | अंकिता आनंद इंतज़ार करते हुए वक्त नहीं, हम बीतते हैं और इंतज़ार करानेवाला सोचता रह जाता है कि जितना छोड़ गया था उससे कम कैसे?

मिस की चेतावनी | अंकिता आनंद

मिस की चेतावनी | अंकिता आनंद

मिस की चेतावनी | अंकिता आनंद मिस की चेतावनी | अंकिता आनंद ‘क्या करोगे नहीं पढ़ोगे तो? रिक्शा चलाओगे? फेल होके स्कूल से नाम कट जाएगा, फिर बैठे रहना चरवाहा विद्यालय में।’ हम डर गए, पढ़ लिए। अब कोई और चलाता है रिक्शा, कोई और बैठे रहता है चरवाहा विद्यालय में।

महामृगनयनी | अंकिता आनंद

महामृगनयनी | अंकिता आनंद

महामृगनयनी | अंकिता आनंद महामृगनयनी | अंकिता आनंद फ्लाईओवर, सेमल, बादल उठी नज़रों की भेंट तो इन्हीं से होती है। पर जब नज़र पर पहरा बिठानेवाले इन निगाहों से रूबरू होते हैं, तो ये खुरदुरापन, लहक, नित-नवीन-आकारता उन्हें पसोपेश में डाल देते हैं। वे ढूँढ़ते रहते हैं गुलाबजल में डूबे उन संकुचित होते रूई के फ़ाहों को जो डालने … Read more

मैं और देश | अंकिता आनंद

मैं और देश | अंकिता आनंद

मैं और देश | अंकिता आनंद मैं और देश | अंकिता आनंद 630 रुपये केमेरे होटल के कमरे मेंएल।सी।डी। टीवी थी,रजाई नहीं।अपनी चादर कोपाँव जितना फैलाने की कोशिश मेंबंद एल।सी।डी। निहारतेमैं सो गई। कुछ समय के लिएमैं देश हो गई।

भले घर की लड़की | अंकिता आनंद

भले घर की लड़की | अंकिता आनंद

भले घर की लड़की | अंकिता आनंद भले घर की लड़की | अंकिता आनंद भेंट की जाती है पुरुष को, उसके साथ पाई नहीं जाती। अपने भीतर के वेग को नाखूनों से भेद सिकोड़, मरोड़ देती है। उसकी जाँघों, तकियों, कपड़ों, कागज़ों में सबूत मिलते हैं उसकी गड़ी उँगलियों के निशान के। हर काम की तरह बड़ी ही शांति से अपने नवजात दिवास्वप्नों को नमक चटा अंतिम नींद … Read more

पर्याप्त | अंकिता आनंद

पर्याप्त | अंकिता आनंद

पर्याप्त | अंकिता आनंद पर्याप्त | अंकिता आनंद एक टोकरी आम पर्याप्त होने चाहिए, मेरे पिता ने सोचा जब वो नाना के लिए उन्हें लेकर आए। होने भी चाहिए थे (पर्याप्त), पर नाना के लिए जो अब है, वो सब है। सो जब उन्होंने पाए केवल चार आम जो पर्याप्त रूप से पके हुए थे, तुरंत खाए जा सकते थे, वे बाहर निकले, उस … Read more

नॉर्मल | अंकिता आनंद

नॉर्मल | अंकिता आनंद

नॉर्मल | अंकिता आनंद नॉर्मल | अंकिता आनंद मेहमानों के लिए खाने में क्या बनेगा, इसके अलावा कोई और बात न करनेवाले मेरे अंकल-आँटी नॉर्मल थे। मेरी दोस्त का फ्रॉक उठाकर देखनेवाले उसके पड़ोसी अंकल भी नॉर्मल थे। अपने बच्चों की किताब में “ड” से “डर” वाले पन्ने पर जिनकी फोटो प्रकट होती थी वो पापा नॉर्मल थे। डैडी की पसंद की कंपनी में … Read more

नेपथ्य | अंकिता आनंद

नेपथ्य | अंकिता आनंद

नेपथ्य | अंकिता आनंद नेपथ्य | अंकिता आनंद गाँव में होता है नाटक फिर चर्चा, सवाल-जवाब। लोग कहते सुनाई देते हैं, “नाटक अच्छा था, जानकारी भी मिली। कोई नाच-गाना भी दिखला दो।” हमारी सकुचाई टोली कहती है, “वो तो नहीं है हमारे पास।” फिर आवाज़ आती है, “यहाँ पानी की बहुत दिक्कत है।” वो जानते हैं हम सरकार-संस्था नहीं, लेकिन जैसे हम जाते … Read more

धोखा | अंकिता आनंद

धोखा | अंकिता आनंद

धोखा | अंकिता आनंद धोखा | अंकिता आनंद शुरुआत से ही … आज तक भी मैं कृपया पीली लाईन के पीछे और लाल रेखा के भीतर रहने वाली रही हूँ। ईस्टमैन कलर वाले झिलमिल घेरे मुझे अंदर बुलाएँ ऐसी बुरी लड़की नहीं बन सकी। पीली लाईन और लाल रेखा के अंदर रहते हुए मैं रंगोलियाँ बनाने से मना कर कमर पर … Read more