सपने | अभिज्ञात
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सपने | अभिज्ञात

मेरे पास कुछ नहीं था क्योंकि मेरे पास

केवल सपने थे

उनके पास कुछ नहीं था

क्योंकि उनके पास सब कुछ था

बस सपने नहीं थे

वे मेरे सपने खरीदना चाहते थे

मैं उन्हें दे आया मुफ्त

जो मेरी कुल संपदा थी

अब उनकी बारी थी

उन्हें सब कुछ लुटाना पड़ सकता था मेरे सपनों पर

और इतना ही नहीं

होना पड़ सकता है उन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी कर्जदार

वे अगर सचमुच डूबना चाहते हैं मेरे सपनों की थाह लेने।

थैंक गॉड

बहुत दिनों बाद

मिले मेरे दोस्त ने बताया

कितना है आजकल वह व्यस्त

कितनी है मुसीबतें आजकल

और कितनी से उबरकर उसने

नई मुसीबतों के घर में रखा है कदम

पूरे समय उसे फुरसत ही नहीं मिली

कुछ और पूछने-कहने की

जैसे कि उसने पूरी तैयारी की हो

यह सब बताने की पहले से ही

जबकि यह हमारी आकस्मिक मुलाकात थी

उसे अलविदा कहने के बाद

मैंने ली राहत की साँस

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