रात भर | नरेश सक्सेना रात भर चलती हैं रेलेंट्रक ढोते हैं माल रात भरकारखाने चलते हैं कामगार रहते हैं बेहोशहोशमंद करवटें बदलते हैं रात भरअपराधी सोते हैंअपराधों का कोई संबंध अबअँधेरे से नहीं रहा सुबह सभी दफ्तर खुलते हैं अपराध के।