प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है | त्रिलोचन
प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है | त्रिलोचन

प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है
उस में कहीं त्रिलोचन का तो नाम नहीं था।
आँखें फाड़-फाड़ कर देखा, दोष नहीं था
पर आँखों का। सब कहते हैं कि प्रेस छली है,
शुद्धिपत्र देखा, उसमें नामों की माला
छोटी न थी। यहाँ भी देखा, कहीं त्रिलोचन
नहीं। तुम्हारा सुन सुन कर सपक्ष आलोचन
कान पक गए थे, मैं ऐसा बैठाठाला
नहीं, तुम्हारी बकझक सुना करूँ। पहले से
देख रहा हूँ, किसी जगह उल्लेख नहीं है,
तुम्हीं एक हो, क्या अन्यत्र विवेक नहीं है।
तुम सागर लाँघोगे? – डरते हो चहले से।
बड़े बड़े जो बात कहेंगे, सुनी जाएगी
व्याख्याओं में उनकी व्याख्या चुनी जाएगी।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *