पेड़ | प्रताप सोमवंशी पेड़ | प्रताप सोमवंशी रात अँधेरी बारिश का दुखपेड़ से पूछोजो कि बेचारा काँप रहा हैचिड़ियों के घर कैसे बचेंगेपत्ते झरें, शाखें गिर जाएँबस उसके बच्चे बच जाएँ