पत्तार | मंगलेश डबराल
पत्तार | मंगलेश डबराल
प्यारे पत्ते हो तुम उन्होंने कहा
कोमल और हिलते हुए
तुम्हारे विचार हैं तुम्हारी ही तरह
मुझे होना चाहिए एक ठूँठ
जो खुशी से फूल नहीं जाता
मुरझाता नहीं
पाला पड़ने पर रंग नहीं बदलता
रह लेता है कहीं भी
गहरी साँस लेता हुआ।