पन्ने तारीखों के | गुलाब सिंह
पन्ने तारीखों के | गुलाब सिंह
अगली पिछली तारीखों का
खुला सामने पन्ना है।
सुंदरियों के अल्प वस्त्र पर
भौंचक दादी अम्मा है।
टेढ़े-मेढ़े सीधे सादेश
टुकड़ों में नारीत्व बँटा
दृष्टि नई हो गई, पुराना
सब कुछ लगता घोर अटपटा
‘लिव इन रिलेशनशिप’ पुस्तक पर
‘गृहिणी’ धरा पोथन्ना है।
यह शताब्दी अपनी है
अपनों से आँख चुराने की
अवसादों के पाश्रवगान पर
सौ-सौ अश्रु बहाने की
अर्द्धरात्रि की संतानों की
बहस में नेहरू जिन्ना है।
उधर खड़े सच्चे युगीन
युगधर्म निभाने वाले हैं
इधर हाथ में वही पुरानी
खुरपी और कुदालें हैं
इनके हाथों का लोहा
उनके हाथों का गन्ना है।