नेपथ्य | अंकिता आनंद
नेपथ्य | अंकिता आनंद

नेपथ्य | अंकिता आनंद

नेपथ्य | अंकिता आनंद

गाँव में होता है नाटक 
फिर चर्चा, सवाल-जवाब।

लोग कहते सुनाई देते हैं, 
“नाटक अच्छा था, 
जानकारी भी मिली। 
कोई नाच-गाना भी दिखला दो।”

हमारी सकुचाई टोली कहती है, 
“वो तो नहीं है हमारे पास।” 
फिर आवाज़ आती है, 
“यहाँ पानी की बहुत दिक्कत है।”

वो जानते हैं हम सरकार-संस्था नहीं, 
लेकिन जैसे हम जाते हैं गाँव 
ये सोचकर कि शायद वहाँ रह जाए 
हमारी कोई बात,

वो हमें विदा करते हैं 
आशा करते हुए 
कि शायद पहुँच जाए शहर तक 
उनकी कोई बात।

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