नमक | मंजूषा मन नमक | मंजूषा मन दाल में चुटकी भरनमक की घट बढ़पल मेंपहचान लेते हो तुम!फिर क्योंजीवन भरसाथ रहकर भीनहीं देख पातेकभी तुममेरे आँसुओं कानमक।