नजरें पहचानना | मंजूषा मन नजरें पहचानना | मंजूषा मन पीठ पर,बस्ता टाँगेस्कूल जातीं छोटी लड़कियाँअब समझने लगीं हैंउनअंकलनुमा आदमियों की नजरेंजो उन्हें घूरा करते हैंआते-जाते…वहीशाम कोअपने घर मेंबेटी को सिखाता हैनजरें पहचानना…।