नए साल में | असलम हसन
नए साल में | असलम हसन

नए साल में | असलम हसन

नए साल में | असलम हसन

अब कुछ भी नया नहीं लगता
नई उम्मीदें भी नहीं
नया हौसला नहीं जगातीं
जैसे-जैसे पुराना हो रहा हूँ लगता है
नई-नई चीजों से कभी मेरा वास्ता रहा ही नहीं
बस पुरानी बातें और गुजरे हुए बदहाल साल
और उन्हीं दिनों के चंद खुशनुमा पल के साथ
अब तो बीत रही है जिंदगी
पता तक नहीं चलता कब और कैसे
पुराने पड़ने लगते हैं हमारे रिश्ते-नाते…

जोश-खरोश से लबरेज वे लम्हे
जिन्हें वक्त ने पीछे छोड़ दिया है
शायद बता सकें खुशियाँ मनाते
लोगों के राज

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