मुश्किल है आसाँ होना | असलम हसन
मुश्किल है आसाँ होना | असलम हसन
कितना मुश्किल है आसाँ होना
फूलों की तरह खिलखिलाना
चिड़ियों की तरह चहचहाना
कितना मुश्किल है
सुनना फुर्सत से कभी दिल की सरगोशियाँ
और देखना पल भर रंग-बिरंगी तितलियों को
कितना मुश्किल है फिक्र से निकल आना
किसी मासूम बच्चे की मानिंद मचल जाना
कितना सख्त है नर्म होना
मोम होना
और पिघल जाना
कितना आसाँ है दिल का जाना
दुनिया में ढल जाना
और आदमी का बदल जाना…