मिट्टी के भीतर | ए अरविंदाक्षन मिट्टी के भीतर | ए अरविंदाक्षन अपनी मिट्टी परखड़े रहो अपने पैरों परयह मिट्टी तुम्हारी भले हो कठोरपरउसके भीतरध्यान से सुनो कान लगाकरजल का स्वरसंगीत सस्वरजीवन का आधार।