चिड़ियों की पुकार परमैं खड़ा हूँ उनके सामनेवर्तमान की तरहसुबह के कोहरे की रोशनी मेंछुप जाती है मेरी पहचान की आकृतिलेकिन खून की लकीर हैमेरी हथेली में चिड़ियों की गुहार मेंमैं उपस्थित हूँ-जीवित यदि तुमकम-से-कममुझे सुनने की कोशिश करो