मेरा सीना है पहाड़ | रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति
मेरा सीना है पहाड़ | रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति

मेरा सीना है पहाड़ | रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति

मेरा सीना है पहाड़ | रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति

सदियों पहले जब हमने प्यार किया था 
तुम शाम बनकर समुंदर के साथ चली गई थीं 
और मेरा सीना पहाड़ बनकर पथरा गया था

तुम्हारे इंतजार में मेरी धड़कनें हवाएँ बन गई थीं 
अब प्रेमी आते हैं मेरे सीने पर कुछ तलाशने 
तुम ही मिलती हो मुझमें

मेरी चट्टानों पर वे तुम्हारा ही नाम लिखते हैं 
आज मैं एक पहाड़ हूँ और तुम मेरे ऊपर बहती हवा

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