लगभग प्रत्येक व्यक्ति मौसमी बीमारियों का शिकार हो रहा है और एलोपेथी चिकित्सा लेकर स्वयं का नाश कर रहा हैआयुर्वेद संहिताओं में हजारों औषधीय पौधों का चिकित्सकीय प्रयोग बताया गया है । आजकल आधुनिकरण की बढ़त को देखते हुए हर्बल मेडीसन एव आयुर्वेद की सख्त आवश्यकता है ।सामान्य मौसमी बिमारियों के लिए कुछ आयर्वेदिक टिप्स से अपने घर पर प्रयोग करके ठीक कर सकते है ।
भारत में सामान्यत : 6 ऋतु है , मुख्यत : 3 ऋतु – शीत , वर्षा एवं ग्रीष्म ।
A – शीत ऋतु में होने वाली बिमारियाँ एवं घरेलू उपाय:
1. सामान्य जुकाम-
- नीम्बू रस व शहद को गर्म पानी के साथ पिये ।
- लवंग व लहसुन को पानी में उबालकर पिये ।
- पानी में हल्दी डालकर भाप लेवें ।
- कडक कॉफी पिये ।
- तुलसी पत्र , काली मिर्च , तेजपत्र की चाय पिये।
2 . न्यूमोनिया-
- लहसुन खाने से तापमान कम हो जाता है ।
- टरपेंटाइन तैल को छाती पर लगाने से छाती का दर्द कम हो जाता है ।
- अदरक- श्वसन संस्थान की मुख्य औषधि है, अदरक रस व शहद को चाटना चाहिए।
- तुलसी – 6 पत्ता तुलसी व 10 बीज काली मिर्च की चाय हर 6 घण्टे में पिये ।
- भाप – यूकेलिप्टस तेल, अजवाइन व पिपरमिंट को पानी मे गर्म कर भाप लेवें।
3. चर्म रोग –दाद, खुजली, चमड़ी उतारना, रूखापन ।
- हल्दी आंवला व नीम के पत्र के चूर्ण को दिन में 2 बार पानी से लेवें ।
- शुद्ध गन्धक को सरसों के तेल में मिलाकर दूषित चर्म पर आधे घण्टे तक लगाये ।
- कपूर को नारियल तेल में मिलाकर लगाये।
- कुछ दस्तावर जैसे – त्रिफला , ईसबगोल एक चम्मच रात में गर्म पानी से सोते समय लेवे ।
- एलोवीरा की जैल 2 चम्मच खाली पेट सुबह लेवे ।
B- गर्मी की बीमारियां एवं घरेलू उपाय :
1. अतिसार / डायरिया–
- सोंठ , भुना जीरा , नागरमोथा ( खेत का मोथा ) और पीपल ( पिप्पली ) इन सभी का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ सेवन करे ।
- बिल्व की मज्जा का चूर्ण दिनमें दो बार छाछ के साथ सेवन करे ।
- कुरैया ( कुटज ) की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ सेवन करे।
- काले तिल 4 भाग चीनी एक भाग मिलाकर 3 – 6 गाम की मात्रा में बकरी के दूध के साथ सेवन करे।
- काले तिल 4 भाग चीनी एक भाग मिलाकर 3 – 6 ग्राम की मात्रा में बकरी के दूध के साथ सेवन करे।
- मरोडफली का चूर्ण4 ग्राम की मात्रा में ठण्डे जल के साथ पिये।
- अनार का चूर्ण 4 ग्राम की मात्रा में ठण्डे जल के साथ पिलाना चाहिए ।
2. छर्दिरोग ( उल्टी )-
- आंवला का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में ले ।
- हरीतकी फल त्वक चूर्ण एक से तीन ग्राम की मात्रा में ले।
- जल और दुग्ध बराबर की मात्रा में बार – बार पिलाना चाहिए ।
- शर्करा और निम्बु का शर्बत ले।
- एला के बीज के चूर्ण को घृत के साथ भर्जन करके मधु के साथ सेवन करे ।
3 . आंख का आना / कंजक्टिवाइटिस-
- दो बूंद शहद एवं एक चम्मच गुलाब जल को आंख में डाले ।
4 . घमौरिया –टेल्क या केलामाइन पाउडर प्रयोग करे।
- बेसन एवं नीम के पत्तों के चूर्ण को पानी में मिलाकर पेस्ट 15 मिनट तक लगाए ।
- पपीता एवं खीरे का पेस्ट को 25 मिनट तक लगाए।
C – वर्षा ऋतु की बीमारियां एवं घरेलू उपाय :
वर्षा ऋतु में वात के प्रकोप एवं पित्त के संचय के कारण मन्दाग्नि , अजीर्ण , श्वास , आमवात , अम्लपित्त , छर्दि , अतिसार , दाद , मुखपाक आदि रोगों की उत्पत्ति है ।
1.अम्लपित्त ( एसिडिटी ) –
- नारियल जल 100 से 500 मि . लि . सेवन करे।
- आंवला फल मज्जा का चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करे ।
- हरीतकी फल मज्जा और शृंगराज पंचांग के चूर्ण को गुड मिलाकर गरम जल के साथ सेवन करे ।
- सोंठ , धनियां और पटोलपत्र का क्वाथ 15 – 25 मि . लि . मात्रा में सेवन करे ।
- शतावरी का रस 20 मि . लि . का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में ले।
D – बालकों में होनेवाले रोग और उनकी चिकित्सा
1. बुखार –
- सिर के ऊपर पानी भीगा हुआ कपडा रखना चाहिए ।नागरमोथा , पीपर , अतीस और कर्कट श्रृंगी का चूर्ण 100 मि . ग्रा . प्रति किलोग्राम भार के अनुसार देना चाहिए।
- तुलसी के ताजापत्र 10 , पीपर 5 , लौंग 3 , आर्दक 3 ग्राम इन सभी को 100 ग्राम पानी में 5 मिनट तक उबालकर छानकर इसमें चीनी मिलाकर दो से पांच चम्मच की मात्रा में दिन में तीन से चार बार पिलाना चाहिए ।
- धनियां , नागरमोथा , सोंठ , बिल्व और सुगन्धबाला का काढा बनाकर छानकर इसमें चीनी मिलाकर दो से पांच चम्मच की मात्रा में दिन में तीन से चार बार पिलाना चाहिए ।
2. खसरा –लक्षण – खांसी , शिर का ठण्ठा रहना , आंखे लाल होना , बुखार , शरीर पर लाल दाने निकलना ।
चिकित्सा –
- नीम के पत्तों को बिस्तर पर फैलाकर बच्चों को उसके ऊपर सुलाना चाहिए ।
- नीम के पत्ते 5 , दाख 7 , कालीमिर्च 7 , लौंग 3 , नमक 1 चम्मच में शहद मिलाकर गुनगुना पानी से पिलाना चाहिए ।इनकी तीव्र अवस्था के शान्त हो जाने पर नवनीत और गुलाबजल का शरीर पर लेप करना चाहिए ।
- नागरमोथा , पीपर , अतीस और कर्कट श्रृंगी का सम भाग चूर्ण 100 मि . ग्रा . प्रति किलोग्राम भार के अनुसार शहद से देना चाहिए ।
3.न्यूमोनिया –लक्षण – खांसी . बखार . सर्दी लगना . छाती में दर्द होना , उल्टी , दस्त , पेट दर्द होना ।
- चिकित्सा –दो तुलसी के पत्तों की चटनी में एक लौंग का चर्ण बनाकर शहद से देना चाहिए।
- तुलसी के पत्तों का रस में शहद मिलाकर देना चाहिए ।
- बिल्व के पत्तों की चटनी बनाकर छाती पर लेप करना चाहिए ।
4. खांसी –
- तुलसी और अदरक का रस समान मात्रा में शहद या दूध के साथ देना चाहिए ।
- अडूसा के पत्तों का रस में शहद मिलाकर देना चाहिए ।
- नागरमोथा , पीपर , अतीस और कर्कट श्रृंगी का भाग चूर्ण 100 मि . ग्रा . प्रति किलोग्राम भार के अनुसार शहद से देना चाहिए ।
- वासा के पत्तों का काढा बनाकर पीपर और चीनी मिलाकर देना चाहिए ।
- मुलेठी और पीपर का चूर्ण 100 मि . ग्रा . प्रति किलोग्राम भार के अनुसार शहद से देना चाहिए ।
5. ठण्डलगना –
- आधा चम्मच हल्दी का चूर्ण दूध के साथ लेना चाहिए ।
- सरसों के तैल को अजवायन से सिद्ध करके मालिस करवानी चाहिए ।
- तलवों में सरसों के तेल की मालिस करवानी चाहिए ।