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क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है

मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए जिंक एक आवश्यक पोषक तत्व है। विशेषकर महिलाओ के लिए ।

आज विश्व की आधी से ज्यादा जनसंख्या सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से होने वाले कुपोषण से ग्रसित है ।

विश्व आबादी का एक बड़ा भाग खाद्य असुरक्षा जैसी गंभीर समस्या से झूझ रहा है भुखमरी के साथ साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे जिंक, आयरन, विटामिन A , और आयोडीन की कमी से भी विश्व झूझ रहा है ।

शरीर के सामान्य काम काज के लिए जिंक बहुत जरूरी होता है ।यह शरीर की हर कोशिका में पाया जाता है ।

वैश्विक स्तर पर तीन बीमारियों विटामिन ए से अंधापन, लोहे की कमी से एनीमिया, आयोडीन की कमी से गलगंड के बाद शीर्ष 5 में जिंक ने अपना ध्यान केंद्रित किया है ।

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भोजन में जिंक की कमी स्वास्थ्य को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करती है यथा –

● मनुष्य के शरीर में उपस्थित 300 एंजाइम के लिए जिंक एक महत्वपूर्ण घटक होता है जिनके की कमी इनके उत्पादन को प्रभावित करती है जिससे शरीर की कई क्रियाएं डिस्टर्ब होती है।

●शरीर की वृद्धि, कद, वजन, व हड्डियों के निर्माण के लिए जिंक आवश्यक है । एक वयस्क के शरीर के सभी हिस्सों में जैसे – उत्तक, कोशिका, हड्डी व द्रव में 2–3 ग्राम जिंक पाया जाता है

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●कोशिका की वृद्धि एवं कोशिका विभाजन में

●स्वाद व भूख के निर्माण में । जिंक की कमी से जीभ पर उपस्थित स्वाद कणिकाएं अक्रिय होने लगती है जिससे भोजन अरुचिकर लगने लगता है।

●त्वचा, बाल, व नाखुनो के निर्माण में भी जिंक की भूमिका होती है।

●आंखों की दृष्टि निर्माण में ।

◆बच्चो की वृद्धि, विकास, वयस्क को उत्तम स्वास्थ्य, गर्भवती महिलाओं, दुग्ध पिलाने वाली माताओ व शाकाहारियों को जिंक की अधिक आवश्यकता होती है ।

जिंक का मुख्य स्रोत – लाल मांस, मछली, समुद्री भोजन, खाद्यान्न सामग्री, दूध, दूध से बने उत्पाद ,अंडा, आलू, हरि सब्जियां, मशरूम है, इन सबमे अधिकतम जिंक लाल मांस से प्राप्त होता है।

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हाल ही में वैश्विक स्तर पर जिंक की कमी से मुख्यतः नवजात शिशुओं एवं 5 साल की आयु के बच्चो के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों ने विश्व भर का ध्यान आकर्षित किया है ।

वंही एशिया व अफ्रीका की 60–70 प्रतिशत आबादीजिंक का कम उपयोग करने के कारण खतरे के कगार पर खड़ी है ।

फाइबर व फाइटिक अम्ल की पौधों में अधिकता के कारण जिंक का अवशोषण पादपों में कम होता है ।जिस कारण जिंक की जैविक उपलब्धता मनुष्य को कम हों पाती है ।

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