लिखने से क्या होगा | अनुराधा सिंह
लिखने से क्या होगा | अनुराधा सिंह

लिखने से क्या होगा | अनुराधा सिंह

लिखने से क्या होगा | अनुराधा सिंह

मुझे लगता था कि
चिड़ियों के बारे में पढ़कर क्या होगा
उन्हें बनाए रखने के लिए
मारना बंद कर देना चाहिए
कारखानों में चिमनियाँ
पटाखों में बारूद
बंदूक में नली
या कम से कम
इनसान के हाथ में उँगलियाँ नहीं होनी चाहिए
आसमान में आग नहीं चिड़िया होनी चाहिए।

वनस्पतिशास्त्र की किताब में
अकेशिया पढ़ते हुए लगा कि
इसे पढ़ना नहीं बचा लेना चाहिए
आरियों में दाँत थे
दिमाग नहीं
हमारे हाथों में अब भी उँगलियाँ थीं
जबकि आसमान में चिड़िया होने के लिए
मिट्टी में बदस्तूर पेड़ का होना जरूरी था।

फिर देखा मैंने
स्त्री बची रहे प्रेम बचा रहे
इसके लिए
कलम का
भाषा का खत्म होना जरूरी है
हर हत्या हमारी उँगलियों पर आ ठहरी
जिन्होंने प्रेम और स्त्री पर बहुत लिखा
दरअसल उन्होंने ही नहीं किया प्रेम किसी स्त्री से।

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