लीला | मणि मोहन लीला | मणि मोहन सपनों ने आवाज दीकि चलोऔर पीछे-पीछे चल दी कवितासाथ में कुछ जुगनूविचारों केजलते-बुझते धरती-आसमानचाँद-सितारेरात-दिनसब तमाशबीनकि बसशुरू होने वाली हैएक लीलाभाषा के बीहड़ में।