क्यों गाती हो कोयल | नीरज कुमार नीर
क्यों गाती हो कोयल | नीरज कुमार नीर

क्यों गाती हो कोयल | नीरज कुमार नीर

क्यों गाती हो कोयल | नीरज कुमार नीर

क्यों गाती हो कोयल
होकर इतना विह्वल

है पिया मिलन की आस
या बीत चुका मधुमास
वियोग की है वेदना
या पारगमन है पास
मत जाओ न रह जाओ    
यह छोड़ अंबर भूतल 
क्यों गाती हो कोयल
होकर इतना विह्वल

तू गाती तो आता
यह वसंत मदमाता
तू आती तो आता
मलयानिल महकाता
तू जाती तो देता
कर जेठ मुझे बेकल
क्यों गाती हो कोयल
होकर इतना विह्वल

कलि कुसुम का यह देश
रह बदल कोई वेष
सुबह सबेरे आना 
हौले से तुम गाना 
आकर मेरी खिड़की  
पर कोई गीत नवल…
क्यों गाती हो कोयल
होकर इतना विह्वल

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *