खामोशी | आरती
खामोशी | आरती

खामोशी | आरती

खामोशी | आरती

खामोशी, मुझे कचहरी सी लगती है
जहाँ तफ्तीश तर्क बहस
कभी कभी निर्णय
और सजा भी निर्धारित होती है
यहाँ खुद को
बाइज्जत बरी नहीं किया जा सकता

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *