कविता की जगह | ए अरविंदाक्षन कविता की जगह | ए अरविंदाक्षन बमों से उड़ाए जा रहे वाहनोंऔर बिखरते मांस के लोथड़ों के बीचकविताओं के लिएथोड़ी-सी जगहक्यों नहीं बची है?तमाम कवियों सेबस, एक ही सवालकविता को कहाँ होना चाहिए।