कवि नामक प्रेमी के लिए | अंकिता आनंद
कवि नामक प्रेमी के लिए | अंकिता आनंद

कवि नामक प्रेमी के लिए | अंकिता आनंद

कवि नामक प्रेमी के लिए | अंकिता आनंद

उसके अधखुले होंठ 
किसी हया, तमन्ना या हर्षोन्माद का इशारा नहीं। 
वे डोल रहे हैं उम्मीद और मायूसी के बीच

ये विचारते कि क्या उनकी आवाज़ 
तुम्हारे कानों तक पहुँच सकेगी 
जिनमें तुम्हारे दिवास्वप्न की “वाह-वाह” 
अभी से भिनभिनाने लगी है,

जिसे सुन अधीरता से उसका हाथ छोड़ 
तुम कलम साधने लगे हो 
उस म्लान चेहरे की रेखाएँ अंकित करने 
अपनी नई कविता में।

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