कैदी लंबरदार | लाल सिंह दिल
कैदी लंबरदार | लाल सिंह दिल

कैदी लंबरदार | लाल सिंह दिल

कैदी लंबरदार | लाल सिंह दिल

वह जेल का था लंबरदार 
नंगा लँगोटे में 
नीम के नीचे टहलता था उस दिन 
मेरी बैरक के आगे आकर रुक गया 
बाँहें लहराईं 
घोड़े की टाप-सा नाच नाचा 
और चिल्लाया : 
”हमारे खेत… हमारे खेत।” 
कहता आगे बढ़ गया 

मुजारे का वह बेटा था 
बरछों के साथ बींधा था 
उस जमींदार के लड़के को 
जो था उसी की उम्र का 

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