काम हृदय में यह कैसा कोहराम मचाए हैबँसवट में जैसे चिड़ियों की जोशीली खटपटखिला कहाँ से संध्या में गुलाब पीलाआता हुआ शरद यह कैसे रंग दिखाए हैप्रेम हृदय में यह कैसा कोहराम मचाए है । READ घिर रही है शाम | राकेश रंजन