जो है सो है | त्रिलोचन खिले फूलों से ही खिंच कर रमे जो भुवन मेंअभावों की छाया पकड़ कर भावांत उन कादिखाएगी, क्या है ललित रचना, शून्य मन कीयहाँ जो है सो है विवश पद की धूल बन के।