हर पल जीने कादोहराव भर नहीं है जिंदगीपारदर्शी साँसों कीमौलिक कविता हैअनूठी यह Like this:Like Loading... See also वह बहुत देर से सच की तरह कड़क बैठी रही | लीना मल्होत्रा राव