इतना सहज नहीं है विश्व | पंकज चतुर्वेदी
इतना सहज नहीं है विश्व | पंकज चतुर्वेदी

इतना सहज नहीं है विश्व | पंकज चतुर्वेदी

इतना सहज नहीं है विश्व | पंकज चतुर्वेदी

इतना सहज नहीं है विश्व 
कि झरने झरते रहें 
पहाड़ कभी झुकें ही नहीं

नदी आए और कहे 
कि मैं हमेशा बहूँगी तुम्हारे साथ

शहर के क़ानून 
तुम्हारे मुताबिक़ 
मानवीय हो जाएँ 
और ख़ुशियों के इंतिज़ार में 
तुम्हारी उम्र न ढले

समय की अचूक धार पर रखा 
तुम्हारा कलेजा 
दो-टूक न हो 
तुम रोते रहो अँधेरों में 
और रोशनी की कोई किरण 
तुम्हें मिल जाए

कभी दुखें ही नहीं 
इतने पुख़्ता नहीं हैं विश्वास भी

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