जो नहीं लौटे
घर उनकी प्रतीक्षा करेगा
यह सच बार-बार झाँकेगा पुतलियों में
जो समा गए धरती में
जिन्हें पी लिया पानी ने
जो विलीन हो गए धूप और हवा में
वे लौटेंगे कैसे कहाँ से
फिर भी घर उनकी प्रतीक्षा करेगा
सृष्टि में किसी के पास नहीं
घर जैसी स्मृति
घर कुछ नहीं भूलता
लोग भूल जाते हैं घर।