घड़ी | बसंत त्रिपाठी घड़ी | बसंत त्रिपाठी घड़ी टिक् टिक् समय बजाती हैसमय बेआवाज नहीं बीतताएक घड़ी रुकी किदूजे के दिल में धड़कता है समय हौले-हौलेपाँव बढ़ाता है