घाव | रेखा चमोली घाव | रेखा चमोली छोटी-बड़ीअपने-परायों सेजाने-अनजानेजान-बूझ करमिलीं कई चोटेंपर कभीएक उफ भी ना निकलीघावजो आत्मा तक को छलनी कर पाएप्रेम के दिए हुए हैं।